मिस्टर ब्लैक:—ए डार्क सुपरहीरो
[मौत के सौदागर]
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के दक्षिण में मौजूद घने जंगल काफी समय से वैज्ञानिकों के आकर्षण का केंद्र बने हुए थे। पिछले कुछ दिनों से उन जंगलों से रहस्यमय चुंबकीय तरंगे निकल रही थी जोकि जंगल के आस पास से धातु से बनी सभी वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित कर रही थी। चुंबकीय तरंगे इतनी शक्तिशाली थी की उसके कारण जंगल के ऊपर आसमान में उड़ रहे विमान दुर्घटनाग्रस्त होने से बाल बाल बचे थे।
इन्ही सब कारणों से वैज्ञानिकों ने उस जंगल में डेरा डाला हुआ था। वैज्ञानिकों के साथ साथ उस स्थान पर पुरातत्ववेत्ताओं की एक छोटी सी टीम भी आई हुई थी जिनके मुताबिक जंगल में घटने वाली इन सब घटनाओं के पीछे उस जंगल का इतिहास जिम्मेदार था जिसके मुताबिक वहां दशकों पहले शैतानों का आधिपत्य था। वैज्ञानिकों के मुताबिक ये सिर्फ एक झूठी कहानी थी क्योंकि उनके मुताबिक शैतान सिर्फ परियों की कहानियों में ही होते थे।
वैज्ञानिकों और पुरातत्ववेत्ताओं की टीम बड़ी सावधानी से जंगल के अंदर पैदल ही आगे बढ़ रही थी। उस स्थान के बदले हुए चुंबकीय क्षेत्र के कारण वहां गाड़ियों को ले जाना संभव नहीं था।
तकरीबन आधा घंटा चलने के बाद वे लोग एक ऐसी जगह पहुंच गए जहां एक खंडहरनुमा इमारत खड़ी हुई थी। इमारत की अधिकांश दीवारे ढह गई थी और उसकी टूटी हुई दीवारों पर बड़ी बड़ी झाड़ियां उग आई थी।
वे लोग धीरे धीरे उस खंडहर के निकट जाने लगे लेकिन जैसे जैसे वे लोग उस खंडहर के नजदीक जा रहे थे, वैसे वैसे उन्हें अपने शरीर पर एक दबाव महसूस हो रहा था। फेफड़ों के अंदर प्राणवायु बड़ी कठिनाई से प्रवेश कर पा रही थी। जब उन लोगो को लगा की वे और आगे नहीं बढ़ सकते तो उन्होंने इमारत से 100 मीटर दूर डेरा डालना ही उचित समझा।
इतने लम्बे सफ़र के बाद वे सभी आराम करना चाहते थे लेकिन ढलता हुआ दिन उन्हें इसकी इजाजत नहीं दे रहा था। शाम होने के बाद वैसे भी जंगल में रुकना खतरे से खाली नहीं था। उन लोगो ने वहां की खाली जमीन पर अपने अपने तंबू गाड़ दिए और उस स्थान की तलाशी लेने के लिए निकल पड़े। वैज्ञानिकों की टीम का लीडर बत्तीस वर्ष का एक युवक था जिसका नाम विश्वा था। वह अपनी टीम को लेकर आगे बढ़ गया जबकि पुरातववेत्ताओं की टीम के लीडर माधव ने वही रुककर अपनी रिसर्च को आगे बढ़ाने का फैसला किया। माधव एक पचास वर्ष का प्रौढ़ व्यक्ति था जिसके सिर और मूछों के बाल पककर सफेद पड़ चुके थे। माधव ने अपनी आंखों पर पीले रंग का ट्रांसपेरेंट चस्मा लगाया हुआ था।
माधव और उसकी टीम के लोग रिसर्च कर ही रहे थे कि तभी उन लोगो में से वाणी नामक एक लड़की का ध्यान झाड़ियों की तरफ गया जहां एक अजीब सी धातु की वस्तु चमक रही थी।
"यहां कुछ है सर!"" वाणी जोकि एक बाइस साल की सुंदर सी युवती थी ने अपने से कुछ ही दूरी पर काम कर रहे माधव को आवाज लगाई।
माधव ने जैसे ही उस तरफ देखा तो उसका ध्यान भी उस चमकती हुई वस्तु की तरफ चला गया। उसने अपनी टीम के बाकी लोगों को आवाज लगाई। जल्द ही माधव और उसकी टीम वहां एकत्रित हो चुकी थी। उनमें से तीन चार युवक बाहर निकले और झाड़ियों के बीच से उस वस्तु को बाहर निकालने लगे जोकि दिखने में धातु से बने ताबूत जैसी थी। उन युवकों ने बड़ी सावधानी से उस ताबूत को साफ जमीन पर रख दिया।
यकीनन वह एक ताबूत ही था जोकि बेहद बारीकी से कारीगरी करके बनाया गया था। उसके ऊपर कुछ लिखा हुआ था। माधव प्रसाद ने ताबूत पर लिखे शब्दों को मैगनिफाई ग्लास से बड़े गौर से देखा लेकिन वे उन शब्दों को डिकोड नही कर पाए।
दिन ढलता ही जा रहा था और वैज्ञानिकों की टीम जंगल के अंदर गहराई में आगे बढ़ती ही जा रही थी। कुछ देर चलने के बाद वे लोग एक झील के किनारे पहुंच गए जिसका पानी पारदर्शी और हल्के नीले रंग का था। झील का पानी इतना स्वच्छ था कि उसकी तलहटी पर पड़े रंग बिरंगे पत्थर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे थे। उस स्थान पर एक अलग ही शांति थी। जंगल की खुशुबुदार हवा धीमे धीमे बह रही थी।
तभी उन लोगो का ध्यान झील की सतह पर गया। वहां रंग बिरंगे पत्थरों के बीच एक सोने का सिक्का चमक रहा था जिसके बीच में काले रंग का हीरा जड़ा हुआ था। उन वैज्ञानिकों में से एक वैज्ञानिक ने झील के अंदर छलांग लगा दी। वह झील दिखने में ज्यादा गहरी नही लग रही थी लेकिन वास्तविकता में वह आम झील से भी ज्यादा गहरी थी। वह वैज्ञानिक जोकि झील में कूदा था, एक लंबे संघर्ष के बाद झील की सतह पर पहुंच गया। उसने जैसे ही उस सोने के सिक्के को हाथ लगाया, अचानक ही वह चमक उठा। वैज्ञानिक को कुछ समझ नहीं आया। उसने जल्दी से उस सिक्के को झील की सतह से उठाया और तैरता हुआ झील से बाहर आ गया। उसने वह सिक्का अपने लीडर विश्वा को दिया। विश्वा उस सिक्के को बड़ी गौर से देखने लगा। उसके ऊपर कुछ शब्द लिखे हुए थे लेकिन वे किसी प्राचीन भाषा के शब्द थे जिन्हे पढ़ पाना विश्वा और उसकी टीम के सामर्थ्य में नही था। विश्वा उस सिक्के को लेकर अपनी टीम के साथ वापस उस स्थान पर पहुंच गया जिस स्थान पर माधव और उसकी टीम ताबूत को खोलने की कोशिश कर रही थी। साफ दिख रहा था कि वे लोग उस ताबूत को अब तक नही खोल पाए थे। विश्वा माधव प्रसाद के पास पहुंचा और उस ताबूत को ध्यान से देखने लगा।
"ये क्या है प्रोफेसर?"" विश्वा ने माधव प्रसाद से पूछा जोकि अभी भी उस ताबूत को खोलने की कोशिश कर रहा था।
"पता नहीं लेकिन देखने से ये किसी ममी की कब्र लगती है। लेकिन अजीब है.....हमने इतनी कोशिश की बावजूद इसके ये खुलने का नाम ही नहीं ले रही।"" माधव प्रसाद ने हांफते हुए कहा।
" क्या एक बार मै कोशिश करके देखूं प्रोफेसर! क्या पता ये ताबूत मुझसे खुल जाए।"" विश्वा ने माधव प्रसाद से कहा।
"ठीक है। तुम भी कोशिश करके देख लो।"" कहकर माधव प्रसाद ताबूत से दूर हट गया।
विश्वा ताबूत को बड़े गौर से देख रहा था कि तभी उसका ध्यान ताबूत के बीचोबीच गया जहां एक सिक्के के आकार का खांचा बना हुआ था। विश्वा ने कुछ सोचा और उस सिक्के को उस खांचे में डाल दिया। सिक्का पूरी तरह से उसमें फिट हो गया और उस ताबूत में से एक जोरदार धमाके की आवाज आई मानो वहां कोई हैंड ग्रेनेड फटा हो। चारो तरफ हवा में धूल फैल गई जिस कारण कोई भी कुछ भी नहीं देख पा रहा था।
उस धमाके की आवाज से विश्वा लड़खड़ाकर पीछे हट गया। जैसे ही हवा से धूल छंटी, वहां मौजूद सभी लोग ताबूत के पास इकट्ठा हो गए। माधव प्रसाद ने धीरे से ताबूत के अंदर झांककर देखा तो वह अंदर से खाली था।
उसके अंदर सिर्फ और सिर्फ धूल मिट्टी जमी हुई थी। माधव की आंखे आश्चर्य से फटी की फटी रह गई। उसे ताबूत के अंदर कुछ कीमती सामान होने का अनुमान लगाया था लेकिन यहां तो ताबूत पूरा का पूरा खाली था।
अबतक सूर्य की अंतिम किरण भी गायब हो चुकी थी और अंधेरा धीरे धीरे गहराता जा रहा था। उन सभी लोगो ने अपनी अपनी टॉर्च ऑन कर ली और उस स्थान को छोड़कर जाने की तैयारी करने लगे की तभी वहां किसी जानवर के जोर जोर से गुर्राने की आवाजे आने लगे। जंगली इलाका होने के कारण ये कोई असामान्य घटना नहीं थी। वे सभी लोग चौकन्ना होकर अपने स्थान पर खड़े हो गए की तभी अचानक उस जगह की जमीन कांप उठी।
सभी लोग जमीन पर लड़खड़ाकर बैठ गए। ये भूकंप के लक्षण थे। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। इससे पहले की कोई कुछ करता, वहां की जमीन में एकाएक ही धमाके होने लगे। जमीन फट गई और उसमे बनी दरारों से नुकीले पंजों वाले हाथ बाहर निकलने लगे। धीरे धीरे जिन शरीरों के वे हाथ थे वे भी बाहर निकलने लगे।
भेड़ियों और इंसानों से मिलते जुलते वे जीव बेहद ही खौफनाक दिखाई दे रहे थे। रात के अंधेरे में उनकी आंखे बेहद खूंखार ढंग से चमक रही थी। उन जीवों के गुर्राने की आवाज से पूरा जंगल कांप उठा था।
वहां मौजूद सभी लोग उन जीवों को देखकर डर गए और अपने अपने हथियारों को बाहर निकालने लगे लेकिन उन जीवों ने उन्हें इतना मौका नहीं दिया और वहां मौजूद हर शख्स के शरीर को अपने नाखूनों और नुकीले दांतो से चीर फाड़ दिया। काफी देर तक लोगो के चीखने चिल्लाने की आवाजे आती रही लेकिन जल्द ही वे शांत हो गई।
वे जीव उन लाशों को बड़ी बेरहमी से नोचने लगे।
तभी जंगल की गहराई से एक रस्यमय साया निकलकर बाहर आया। अंधेरे से घुला मिला वह शख्स काफी रहस्यमय था। उसकी हरी आंखे उन जीवों की तरह ही अंधेरे में चमक रही थी। वह शख्स धीरे धीरे चलता हुआ उन जीवों के समक्ष जाकर खड़ा हो गया। उसे देखकर उन जीवों ने अपना सिर झुका लिया।
उस स्थान की जमीन खून और मांस के लोथडो से पटी हुई थी। इतना विध्वंशक दृश्य देखकर वह शख्स जोर जोर से हंसने लगा।
"अब इस दुनिया पर सिर्फ और सिर्फ मेरा राज होगा।" इतना कहकर वह फिर से शैतानी हंसी हंसने लगा। वहां मौजूद वे रहस्यमय जीव भी जोर जोर से गुर्राकर उसका समर्थन करने लगे।
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कहानी जारी रहेगी अगले भाग में.........
Barsha🖤👑
10-Dec-2021 08:31 PM
Nice starting
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@kshat kothiyal
03-Dec-2021 10:30 PM
बहूत ही रहस्यमयी और मजेदार कहनी है 😍
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Abhilasha sahay
01-Dec-2021 07:10 PM
Bohot hi aachi kahani
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